पार्षदों ने किस कॉलोनाइजर को कहा उज्जैन का सबसे बड़ा भू-माफिया

पाश्र्वनाथ डेवलपर्स पर निगम करवाएगा एफआइआर, निगम सम्मेलन में शामिल किया अतिरिक्त विषय तय समय में स्थापित नहीं किया विद्युत सब स्टेशन

उज्जैन. शुरुआत से धांधली के आरोपों में फंसी देवास रोड स्थित पाश्र्वनाथ कॉलोनी के कॉलोनाइजर एक बार फिर कानूनी कार्रवाई के निशाने पर आ गए हैं। नगर निगम परिषद ने कॉलोनी में रहवासियों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने और लोगों से छलावा करने को लेकर मेसर्स पाश्र्वनाथ डेवलपर्स, नई दिल्ली के खिलाफ पुलिस प्रकरण दर्ज करवाने का कहा है। साथ ही अधूरे कार्य के बावजूद पूर्णता प्रमाण पत्र देने वाले निगम के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।

सभापित सोनू गेहलोत की अध्यक्षता में गुरुवार को हुए नगर निगम सम्मेलन के एजेंडे के तय विषयों पर चर्चा के बाद आखिरी में आनन-फानन में पाश्र्वनाथ कॉलोनी का विषय शामिल किया गया। सदन में कॉलोनी में सुचारू विद्युत व्यवस्था के लिए विद्युत सब स्टेशन स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया। कॉलोनी में निगम द्वारा बंधक भूखंड बेच सब स्टेशन लगाने का प्रस्ताव आते ही पार्षदों ने आरोप और आपत्तियों की झड़ी लगा दी। पार्षदों ने पाश्र्वनाथ डेवलपर्स को सबसे बड़ा भू-माफिया करार देते हुए कहा कि गरीबों की जगह एेसे लोगों पर कार्रवाई करने को कहा। पार्षद राधेश्याम वर्मा ने कहा, छोटे-मोटे लोगों पर एफआइआर-कार्रवाई हो रही है, लेकिन दिल्ली के इतने बड़े डाकू पर क्या एफआइआर की गई। पार्षद संतोष व्यास ने कहा, निगम के तत्कालीन अधिकारियों ने जिस स्थिति में बंधक प्लॉट छोड़े और कॉलोनी विकास अधूरा होने के बावजूद पूर्णता प्रमाण पत्र दिया, उनके खिलाफ एफआइआर की जाए। जो प्लॉट कॉलोनाइजर के पास बचे हैं, उन्हे बंधक बनाया जाए। विधायक प्रतिनिधि रजत मेहता ने कहा, निगम में कितनी गड़बडी हो लेकिन एफआइआर की ही नहीं जाती है। नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र वशिष्ठ ने कहा, दिल्ली का कॉलोनाइजर यहां आता है और कॉलोनी काटता है, निगम अधिकारियों ने पूर्णता प्रमाण पत्र जारी कर दिए, बाद में प्लॉट भी छोड़ दिए। इससे निगम अधिकारियों की मानसिकता पता चलती है। मुख्यमंत्री ने भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई करने का कहा है, यह भी भूमाफिया है। उन्होंने निगम अध्यक्ष से अनुरोध किया कि उपकेन्द्र बनाने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दें। साथ ही संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई भी हो। एमआइसी सदस्य सत्यनारायण चौहान ने कहा, जब तक मुख्यमंत्री के यहां से कार्रवाई का तीर नहीं चलेगा, तब तक कैसे कार्रवाई होगी। चौहान ने भी कॉलोनाइजर पर प्रकरण दर्ज करने की मांग की। आनन फानन में विषय क्यों आयामहापौर ने कहा, हमें समझना होगा कि यह विषय आनन-फानन में क्यों सदन में लाया गया, क्योंकि यह विषय लगातार टीएल बैठक में आ रहा है। क्या टीएल में अन्य विषय नहीं आते हैं, पीछे की कहानी को समझने की जरूरत है। मौरगेज प्लॉट के साथ हरकत हो रही है। क्या व्यावसायिक प्लॉट से बिजली उपकेन्द्र के खर्च की राशि प्राप्त होगी, नहीं हो सकेगी। तब शेष राशि कहां से आएगी। कॉलोनाइजर से कब वसूली होगी। इसलिए जब तक एक-एक रुपया जमा नहीं हो जाता, इस विषय में आगे कार्रवाई न हो। महापौर ने मामले में सख्त कार्रवाई करने का कहा।

 

विवादित कॉलोनी, फिर भी बना दी टंकी

चर्चा के दौरान अधिकारियों द्वारा बाले-बाले स्थान परिवर्तन कर विक्रमनगर की जगह पाश्र्वनाथ कॉलोनी में टंकी निर्माण शुरू करने का मामला भी सामने आया। पार्षद व्यास ने कहा, सदन से स्थान को मंजूरी मिली थी लेकिन अधिकारियों ने बिना मंजूरी लिए ही स्थान बदल दिया और उसी पाश्र्वनाथ कॉलोनी में टंकी निर्माण शुरू कर दिय, जो पहले से विवादित है। जलकार्य समिति प्रभारी कलावती यादव ने भी स्थल परिवर्तन की जानकारी से इनकार किया। पूछने पर पीएचई कार्यपालन यंत्री धर्मेंद्र वर्मा ने बताया, टंकी का निर्माण स्थान देखकर नहीं किया जाता है। पाश्र्वनाथ कॉलोनी में पहले से ही दो टंकी बनी है, जिनसे कॉलोनी में जलप्रदाय होता है। एेसे में नई टंकी बनाने से कॉलोनी को किसी प्रकार का लाभ पहुुंचाने की बात ही नहीं है। नि:शुल्क स्थान उपलब्ध हुआ, इसलिए वहां टंकी बनाई जा रही है। पार्षद व्यास ने कहा, यदि एेसा है तो इस सदन में भी कई कॉलोनाइजर हैं, वे जगह देने को तैयार हैं, निगम उनकी कॉलोनी में टंकी बनाए। व्यास ने मामले में कार्रवाई की मांग की। अध्यक्ष गेहलोत ने अधिकारी को सक्षम स्वीकृति लेने का कहा।

 

खर्च की आधी राशि मिलना भी मुश्किल

कॉलोनी के पूर्ण विकास के लिए निगम ने कुछ प्लॉट बंधक रखे थे। निगम अधिकारियों द्वारा पूर्णता प्रमाण पत्र देने और कोर्ट के आदेश के चलते निगम को बंधक प्लॉट छोडऩा पड़े। कॉलोनी में विद्युब सब स्टेशन बनना है, जिसकी लागत १९.२६ करोड़ रुपए है। निगम के पास बंधक के रूप में स्कूल व कमर्शियल कॉम्प्लेक्स की १४ हजार ७८४ वर्गमीटर जमीन है। जनप्रतिनिधियों के अनुसार उक्त जमीन पर उक्त स्कूल और कॉम्प्लेक्स ही बन सकता है, एेसे में इन जमीनों के विक्रय से उपकेन्द्र के खर्च की आधी राशि भी प्राप्त नहीं हो सकेगी।

 

सब स्टेशन पर निगम राशि खर्च नहीं करेगा

लंबी चर्चा के बाद निगम अध्यक्ष ने फैसला सुनाया कि सब स्टेशन पर निगम द्वारा कोई राशि खर्च नहीं की जाएगी। बंधक प्लॉट विक्रय के बाद ही सबस्टेशन की कार्रवाई शुरू होगी और यह कार्य निगम नहीं, विद्युत वितरण कंपनी से कराया जाएगा। उन्होंने कॉलोनाइजर व तत्कालीन दोषी अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज करवाने का भी कहा।

 

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